Tuesday, February 19, 2019

वीरान

वृक्ष कल्प तरु प्रहार वन वीरान हुए
प्रकृति के शत्रु निजस्वार्थ शैतान हुए
मिटा दिए भूमी से जंगल अनगिनत
प्रकृति ने भी रोष से किया लतपत
नयन तके राह कब मानसून दे दस्तक
प्यासी धरती पे रिमझिम न अबतलक
बंजर भूमी नवीन कोपल की आस में
किसान निःजल जूझते अंतिम स्वास में
हुई नदियां रेत की सूखी डगर प्यास में
कम न हुए इंसान आघात के प्रयास में
भू बिन वृक्ष दुष्परिणाम से अंजान हुए
द्रवित नेत्र सूखे अधर कृषक बेप्राण हुए
स्वयं शत्रु मनु निजस्वार्थ में शैतान हुए
मिटाए कल्पतरु वृक्ष, जंगल वीरान हुए।।।।

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