आकाश के ज्योति पुंज को
ग्रहण कही लग न जाये
रश्मियों को सुला के कहीं
तम घना जग न जाये
आओ रौशनी के लिए
जलाए जगमग दीये प्रिय
आंधिया जब छलने लगे
शांत धरा के भू भाग को
चलो सुगमता के बांध से
रोक दें विचलित आवेग को
चंचल मस्त पवन लिए
गाये तरलता के गीत प्रिय
कंटक जहर निरा यहाँ
चलो अमृत लाये खोज कर
क्षितिज की छाती पे पुनः
खुशियों के बीज रोप कर
सुखमय फ़सल के लिए
करें प्रयास मिलके प्रिय
बैर भाव घृणा वेदना मिटा
प्रेम दया संवेदना उगें
सो गया अपनत्व धरा से
पुनः हरेक ह्रदय जगे
एकता की डोर के लिए
आओं जोड़े दिलों को प्रिय
आकाश के ज्योति पुंज को
ग्रहण कही लग न जाये
रश्मियों को सुला के कहीं
तम घना जग न जाये
आओ रौशनी के लिए
जलाए जगमग दीये प्रिय
निशा की दिशा काट कर
प्रातः की किरण जगमगाए
धरा पे गगन की ओट से
ध्वल धूप छन छन के आए
आओ नई सुबह के लिए
गाये ऊष्मा के गीत प्रिय
आलोकित रौशनी के लिए
जलाए जगमग दीये प्रिय
ग्रहण कही लग न जाये
रश्मियों को सुला के कहीं
तम घना जग न जाये
आओ रौशनी के लिए
जलाए जगमग दीये प्रिय
आंधिया जब छलने लगे
शांत धरा के भू भाग को
चलो सुगमता के बांध से
रोक दें विचलित आवेग को
चंचल मस्त पवन लिए
गाये तरलता के गीत प्रिय
कंटक जहर निरा यहाँ
चलो अमृत लाये खोज कर
क्षितिज की छाती पे पुनः
खुशियों के बीज रोप कर
सुखमय फ़सल के लिए
करें प्रयास मिलके प्रिय
बैर भाव घृणा वेदना मिटा
प्रेम दया संवेदना उगें
सो गया अपनत्व धरा से
पुनः हरेक ह्रदय जगे
एकता की डोर के लिए
आओं जोड़े दिलों को प्रिय
आकाश के ज्योति पुंज को
ग्रहण कही लग न जाये
रश्मियों को सुला के कहीं
तम घना जग न जाये
आओ रौशनी के लिए
जलाए जगमग दीये प्रिय
निशा की दिशा काट कर
प्रातः की किरण जगमगाए
धरा पे गगन की ओट से
ध्वल धूप छन छन के आए
आओ नई सुबह के लिए
गाये ऊष्मा के गीत प्रिय
आलोकित रौशनी के लिए
जलाए जगमग दीये प्रिय
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