Wednesday, April 11, 2012

गुल-ए-गुलजार


शोख अदाओं में मशगूल तुम
बेशर्त हर दिल को कुबूल तुम
गुल-ए-गुलजार आफताब तुम
खिली ऐसे जैसे गुलाब तुम
कातिल नजरों की शैसवार तुम
मुफलसी में भी हसीन बहार तुम
यु गिराती सनम अदाओं की बिजली
की फिर कटती नहीं घड़िया दिलजली
कंबख्त दिल में जगा के खलबली
तुम अरमान की आँधी उड़ा के चली
मेरी सूनी आखो कि रौनक तुम
चाँद सितारों से भरा फलक तुम
शोख अदाओं में मशगूल तुम
बेशर्त हर दिल को कुबूल तुम
 

शराब


मैखाने ने कहा पी लो शराब
मैंने कहा मैंने पी ली शराब
साजन कि आँखों से पी ली शराब
आँखों ही आँखों से पी ली शराब
मय की मदहोशी का है जबाब
नशा मोहब्बत का ऐसा जनाब
दिल पे हाबी तेरा शबाब
तेरी आँखों से छलके ऐसी शराब
आँखों ही आँखों से पी ली शराब

भैया राजा


अन्नी मन्नी अन्नी, अन्नी मन्नी अन्नी,
नन्हे की आँखों में आई देखो निन्नी
भैया राजा सोयेगा, सोएगा भाई सोएगा
भइया राजा सोएगा तो सपनो में खोयेगा
सपनो में खोयेगा तो परी रानी आयेगी
आयेगी भाई आएगी परी रानी आयेगी
सुमन परी रानी आयेगी तो चिज्जी ढेरो लायेगी
चिज्जी ढेरो लायेगी तो भइया को खिलायेगी
भइया चिज्जी खायेगा तो बड़ा मजा आएगा
झुमेगा भाई नाचेगा नाचेगा भाई गायेगा
नाचेगा भाई गायेगा तो बड़ा मजा आएगा
भइया राजा खेलेगा, खेलेगा भाई खेलेगा
अन्नी मन्नी अन्नी, अन्नी मन्नी अन्नी,
नन्हे की आँखों में आई देखो निन्नी

जान ज़िंदगानी


मेरी जान ज़िंदगानी, तुम हो कहा बता दो
मै पास आकर तुझको, पहेलु में ले लूँगा
मै दीवाना हूँ तेरा, मुझे अपना तुम बना लो
मै होठों पर होठ रखकर हर साँस दे दूंगा
लव्ज़ो में ऐ जवानी कभी प्यार गुनगुना दो
मै मुहब्बत की गज़ल में जान भर दूँगा
तन्हा है अपनी रातें गर साथ तुम दे दो
बाहों में लेकर तुझको हर एहसास दे दूँगा
बेचैन दिल की हसरत अपना पता बता दो
तेरे लिए जानम मै यह दुनिया छोड़ ही दूँगा
मेरी जान ज़िंदगानी, तुम हो कहा बता दो
मै पास आकर तुझको, पहेलु में ले लूँगा

खोज तुम्हारी


खोज तुम्हारी जारी है,
इस असीम धरा के आँचल में!
बहते अश्रु की अग्यारी है,
वैसे जैसे बिखरे बरसे बादल में!
तुझपर खुशिया वारी है,
पर तेरी विरह तपिस जीवन में!
मोहे पीणा भी प्यारी है,
पतंगा सा मोहित हो जलु अगन में!
मन हर्ष विरह की क्यारी है,
बसों प्रिय मेरे मनभावन सावन में!
मन में कल्पना तुम्हारी है,
देखे बिन प्रिय प्रतिमा मेरी पलको में!
तुम बिन जीवन अंधियारी है,
चमको रवि बन मेरे सुने आगन में!
तुमसे हर आस् हमारी है,
नवप्राण भरो जीवन की हलचल में!
तुमसे ही ख़ुशियाँ सारी है,
अन्यथा जीवन विलाप प्रतिछण में!
खोज तुम्हारी जारी है,
इस असीम धरा के आँचल में!
बहते अश्रु की अग्यारी है,
वैसे जैसे बिखरे बरसे बादल में!

अधिपद प्रतिष्ठा सत्ता के लोभी,


अधिपद प्रतिष्ठा सत्ता के लोभी,
धन दौलत विलासता के भोगी,
कुर्सी खातिर हुए मानसिक रोगी,
झूठे प्रपंची पर ओड़े चादर जोगी,
इनसे ही हुई सियासत तार तार,
यह कुत्सित बने धरती पर भार,
आपराधिक गतविधियो के अंबार,
वक्त यही अब मिल करो बहिष्कार,
सेवा धर्म को ताख पर रख कर,
घाव दिए जनमानस के मन पर,
भूख गरीबी सब इनके कारण,
देश कलंकित करते यह रावण,
यह जात धर्म का बीज पनपाते,
घोटाले खातिर यह जाने जाते,
इनकी तानाशाही से जलते प्रांत,
करो विरोध प्रदर्शन न बैठो शांत,
इनके अंत से ही शांति होगी,
अन्यथा नेता तो दुश्कर्म प्रतियोगी,
अधिपद प्रतिष्ठा सत्ता के लोभी,
धन दौलत विलासता के भोगी,

दर्दे एहसास


हमने जिंदगी को जितना जाना उतना ही जुदा पाया
सच है आँजाने तो हुई लाख पर कब किसने खुदा पाया
दरबदर की ठोकरो से कब कोई महफूज़ रह पाया
बस जिंदगी की जंग में दर्दे एहसास का घना साया
सोचा कभी तो उबर जाऊँगा जब नया पड़ाव आया
पर जिंदगी के हर मोड़ पे ख़ुद को ठगा ठगा सा पाया
हर रोज़ नए रंग दिखती पर कभी कुछ समझ न पाया
कभी खुशी कभी गम और हम रहे ना हम ऐसा उलझाया
हमने जिंदगी को जितना जाना उतना ही जुदा पाया

क्या यह वही जिंदगी है

क्या यह वही जिंदगी है जहां हर राह् हर गली रोड़े थे!
यह लोग भी वही जो गिरेबाँ तक मेरी सांसो को मरोड़े थे
दिल को बेजार कराने वाले इनकी फब्तियो के हथौड़े थे
गमो की घड़ीया थी लंबी और खुशियों के पल थोड़े थे 
आज चलते पीछे कतारों में जो नजंरंदाज कर आगे दौड़े थे
आज सियासी हवा क्या बदली तो खड़े हाथ जोड़े थे

जिंदगी


मै ढुंडता फिर रहा, तू कहा जिंदगी
आस कम हो ना जाए न कर दिल्लगी
गम के सैलाब आए तो क्या जिंदगी
हमको मर के भी जीने की चाहत बची
लापता र्रौशनी में छुप गई की बानगी
मुझको पागल करे एक तेरी दीवानगी
आ मुझे थाम ले ऐ मेरी आवारगी
बिन तेरे मै हूँ क्या तू समझ बेचारगी
मै ढुंडता फिर रहा, तू कहा जिंदगी
आस कम हो ना जाए न कर दिल्लगी

दर्दे दास्तान

इंतिहा हो गयी दर्दे दास्तान की

जिंदगी बत्तर हुई आज इंसान की

जब कोख से जना तब क्या थी खबर

मै ज़िन्दगी जीऊँगा ज़िन्दगी के बिगर


जालिम दुनिया को कब किसकी फिकर

हालातों के जानिब छलनी हुआ जिगर

गंदखाना जहां रुकना नहीं मुनासिब

मेरी मज़बूरियों ने किया उसे वाजिब

मेरे बिस्तर् भी यही दस्तर भी यही

मुझे न देखो होश न उड़ जाए कही

मुझे तो आदत हुयीं इस ग़मे तुफान की

इंतिहा हो गयी दर्दे दास्तान की!

तेरी उँगली

वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा

तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका

उम्र हुयीं तो क्या मुझे आज भी तेरी कद्र है

क्योकि तेरी वृद्ध आँखों में आज भी मेरी फिक्र है

 ऐ पिता तुझे बाहों में ले मै बड़ा गौरन्वित हूँ

पर तेरे खोने के एहसास से भी बड़ा चिन्तित हूँ

ऐ पिता तुमसे वजूद मेरा मै साया हूँ तुम्हारा

जिंदगी के सैलाब में तेरे दम से ही है किनारा

आँखों का भ्रम है वरना तुझसे ही मेरा सहारा

तू पल भर भी दूर हो दिल को नहीं गवारा

रास्तों की मौज और मै मुसाफिर तेरी गली का

क्योँकि जिंदगी का सफर तेरे बिन है फीका फीका

वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा

तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका

ऐ पिता तुमसे वजूद मेरा मै साया हूँ तुम्हारा

जिंदगी के सैलाब में तेरे दम से ही है किनारा

आँखों का भ्रम है वरना तुझसे ही मेरा सहारा

तू पल भर भी दूर हो दिल को नहीं गवारा

रास्तों की मौज और मै मुसाफिर तेरी गली का

क्योँकि जिंदगी का सफर तेरे बिन है फीका फीका

वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा

तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका

हाथ की लकीर

बिगड़ कर ही बनती हर हाथ की लकीर

किस अफसोस के कामिल ऐ फ़कीर

कब किस ओर ले जाए यह तक़दीर

मत सोच बुलंद कर अहले ज़मीर

जिंदगी ख्वाब की मुकम्मल तस्वीर

ग़र असल निशाने पर पैबस्त तेरे तीर

हौसलो के जानिब तूही शागिर्द तूही पीर

किसी कि राह् तके तोड़ दे वह् जंजीर

बाद तंग रातो के होगी तेरी सुबह अमीर

बिगड़ कर ही बनती हर हाथ की लकीर

हैरान हूँ

मै सोच कर हैरान हूँ 


जिनसे मै नहीं अंजान हूँ


यह वही शहर वही लोग है


मुझे पहचानते नहीं संजोग है 


क्योकि आज वक्त साथ नहीं


कल जैसी कोई बात नहीं


मुझे पता सुबह आयेगी सही

क्यूँकि हमेशा कि कोई रात नही


पर इस तरह जब कोई बदलता है


सरे राह गैरो की तरह मिलता है


यह फलसफा दिल को अखरता है


कैसे मुफ्फलसी में दिन बदलता है


कल तू था आज मै परेशान हूँ


हालात के हाथ बेवजह कुर्बान हूँ


ग़ुरबत में बदले लोग देख् हैरान हूँ


दर्द मुझको भी होता आख़िर इंसान हूँ


यह वही शहर वही लोग है


मुझे पहचानते नहीं संजोग है

नववर्ष सुस्वागतम

मै नववर्ष अध्याय का सुस्वागतम करना चाहता हूँ
फिर नये क्षितिज की ओर मै उड़ना चाहता हूँ
मै आज दिव्य रौशनी की सैर करना चाहता हूँ
सबकी आँखों में सुखमय स्वप्न बुनना चाहता हूँ 
उर्जा भरे नवदीप का अवलोकन करना चाहता हूँ
अश्रु ना बहे कही हर दुःख को चुनना चाहता हूँ
जो सर्वकर्ण प्रिय हो वह शब्द बनना चाहता हूँ
नववर्ष मै एक नवसमाज की देखना चाहता हूँ
हृदयघात जो करे मै उस कर्म से बचना चहता हूँ
प्रेम बंधुत्व भरे गीत की रचना सुनना चाहता हूँ
मै नववर्ष अध्याय का सुस्वागतम करना चाहता हूँ

नववर्ष

पूरब पश्चिम उत्तर दछिण 
खिल उठी चारो दिशाये 
प्रत्येक दिशा शुभ संदेश
नववर्ष की शुभ कामनाये
गाव खेत चौपाल हाट
झूमे सब बालक बालाये
स्वर तरंगित ओर छोर
नववर्ष की शुभ कामनाये
धरा गगन नदी नहर पे
अरुण अरुणिमा रहा बिखराये
रवि किरणों ने लिखी पंक्ति
नववर्ष की शुभ कामनाये
ओस की नन्हीं बूँदों से
हरित वन उपवन सभी नहाये
मधुमस्त मयूर नाचे गाये
नववर्ष की शुभ कामनाये

ऐ बहारो की रौनक

ऐ बहारो की रौनक फिजाओ की मल्लिका
तेरी नजरों का जादू बिखरा जहाँ में
यह कातिल अदाये और मदहोश मै हूँ
मेरी नींद चुरा के तू मशगूल कहा है
गुलाबो से गुलाबी हाय यह रंग रूप तेरा 
फिजाओ की मस्ती तुझसे ही जवां है
मेरे दिल को चुरा के न इठलाओ जानम
मेरे दर्दे दिल पे तेरा नाम बयाँ है
ऐ बहारो कि रानी तूझसे चैन मेरे दिल का
हँस के यु बिजली गिराती यहा है
ऐ बहारो की रौनक फिजाओ की मल्लिका
तेरी नजरों का जादू बिखरा जहाँ में

शबनम में भीगी

शबनम में भीगी ऐ जाने तमन्ना
अपने दिल की बता दे दिल में क्या है
तेरी ज़ुल्फों से होकर गिरती जो बूँदें
उनमे अंगूर-ए शराब से ज्यादा नशा है
तेरे गीले बदन से चिपकी जो चोली
हुस्न और शबाब की अजब इंतिहा है 
उस पर यह उफ्फ नजरों का जादू
ख़बर ही नहीं की अब यह दिल कहा है
नहीं दिल पे काबू हुस्ने-ए हसीना
जाने जाँ तू ही बता दे तेरी मर्जी क्या है
शबनम में भीगी ऐ जाने तमन्ना
यह दिल तेरा पागल क्या तुझको पता है

वीर तेरी शहादत

वीर तेरी शहादत गयी बेकार
कोई नहीं सुनता तेरे घर से उठती चित्कार
असहाय हो गयी हर पुकार
सत्ता-विपक्ष की खीचतान में तथ्य हुए लाचार
कानूनी कार्यवाही लम्बा विचार
मुजरिम को मुजरिम कहने को भला कौन तैयार 
न्याय के नाम लंबा इंतज़ार
नेताओं के घड़ीयाली आँसू मुद्दे पर पार्टी प्रसार
खोखली बातें असलियत में दीवार
कोई नहीं सुनने वाला सियासत में फँसा तेरा परिवार
तेरी भटकती आत्मा भी ले स्वीकार
वीर यही सच है की तेरी शहादत गयी बेकार
कोई नहीं सुनता तेरे घर से उठती चित्कार
वीर तेरी शहादत गयी बेकार

बहुमिंजिला इमारत अंतहीन

ईट पत्थरों से पटी जमीन
बहुमिंजिला इमारत अंतहीन 
हरियाली जाने कहा विलीन
विकास के नाम तल्लीन
खोये खेत खलियान रंगीन
शोर शराबे में हुए लींन 
परम्पराये हुई बोनी
इंसानियत हुई घिनौनी
धर्म ईमान का कीमत तय
जुर्म से अब किसको भय
बदली गयी जीवन की लय
भ्रष्टाचार में हुयीं श्रिष्टा विलय
पता नही यह कैसा नवनिर्माण
जहा भेद गए विकृति के बाण
आज नहीं ख़ुद पर यकीन
रुलाती किलसाती खबरें ताजो तरीन
गैरियत अकेलापन जीवन उदासीन
ईट पत्थरों से पटी जमीन
बहुमिंजिला इमारत अंतहीन

प्यार कि डगर

प्यार कि यह डगर है अधूरी डगर 
तेरे बिन जिंदगी मुश्किलों का स़फर
यु न जाना सनम फेर कर ये नजर
जी न पायेंगे हम ऐ मेरे हमसफर 
रात दिन बस तुझे हा तुझे ही सनम
चाहता साथ तेरा मै तो हर एक जनम
डोर बंध ही गयी रब की ऐसी मेहर
तेरे दम से ही रौनक हर शामें-शहर
प्यार कि यह डगर है अधूरी डगर
तेरे बिन जिंदगी मुश्किलों का स़फर

खूबसूरती

तुम्हारी खूबसूरती पर,
सोचता हूँ बेहिसाब लिखूँ
कुछ कमी ना रह जाए,
तो चलो एक किताब लिखूँ 
तुम फूलों से कोमल,
क्यू न तुम्हे मै गुलाब लिखूँ 
चाँद भी तुमसे शरमाये,
तो तुम्हे आफताब लिखूँ
हर एक कि तमन्ना तुम,
तुम्हे हर आँख का ख्वाब लिखूँ
तुमसे बेहतर न कोई दुनिया में,
तुम्हे लाजबाब लिखु
फिजाओ में रौनक तुझसे,
तो मै तुझे उंदा शबाब लिखूँ
नशा तेरी आँखों में ऐ कातिल,
मै तुझे शराब लिखु
मन पूछता कभी तो देखोगी,
बता हसीं क्या जबाब लिखूँ

दौलत की दौड़

दौलत की दौड़ में लगे रहे 
शोहरत की होड़ में पड़े रहे
उम्र अपनी रफ्तार में थी
चाहतें हब्या में गिरफ्तार थी 
जब वक्त था तब रिश्तों से हुए बेपरवाह 
जब जरूरत पड़ी तो रिश्ते हुए लापरवाह 
जरूरतों के नाम ईमान का व्यापार
जबकि कुल मिला के थी जरूरते चार
काश मौका आता और लेता सुधार
पर वक्त कब करता किसी का इंतजार
न किसी का दर्द देखा
न उफनता बरबाद समंदर देखा
पत्थर आंखो पर जड़ें रहे
मदद कर सकते थे पर खड़े रहे
दौलत की दौड़ में लगे रहे
शोहरत की होड़ में पड़े रहे
वही टीस अब अपनी हुई
कल कि मौज पराइ हुई
जब चिड़िया चुग गयी खेत
तब जिंदगी ही बौराई हुई

टिक टिक घड़ी

टिक टिक घड़ी चलती रही 
बात बनती फिर बिगड़ती रही 
समय के आलेख पर उभरती तसवीर
कल तक तो थी पर आज हुई छीर्ण 
ओस कि बूँदों में छार कि अनूभूतियाँ 
अश्रु विलय हुई आस् कि प्रतिलीपिया 
धरा की गोद में आग की चिंगारिया
छा गयी गगन में काल क्रोध बदरियाँ
सिन्धु प्रवाह सब बहाने को तैयार है
पवन की रफ्तार में अंधड़ प्रहार है
प्रकृति ने मानस का मनोरूप धर लिया
अती इंसान कि जो विकृत रूप कर लिया
मूल्यों को त्याग जीवन धन बदल दिया
निर्माण के नाम प्रकृति घात कर दिया
परंपराओं ने अनगिनत दीप थे जलाये
विकास की आड़ में हम धरोहर मिटाये
बारूद की सुरंग रात की कालिमा
खो गयी कहीं नवप्रभात की लालिमा
तन को जलाये उषा कि ऊष्मा
विलुप्त हुआ चाँदनी बिखेरता चन्द्रमा
कदमो कि की खोज पर धरती नहीं
जिंदगी यु ही बदलती रही
टिक टिक घड़ी चलती रही
बात बनती फिर बिगड़ती रही

आम आदमी कि पहचान

बिना सोचे चल दिया
जो मिला उसी से मिल लिया
तक़दीर से शिकायत नहीं
आम आदमी कि पहचान यही
जरूरतें ईमान डिगाती नहीं
दर्द रूह कपाती नहीं
हर हाल को जिया जोश से
हौसला रहा होश से
इसलिये आज भी जिन्दा हूँ
यथार्थ का वाशिन्दा हूँ
बस रहम खुदा का रहे
हैवानियत ख़ुद से जुदा रहे
किसी ने कब क्या किया
उसे किस्मत समझ लिया
आज को जी भर जिया
कल का न पता किया
खुदी को सलाम किया
वक्त का एहतराम किया
तक़दीर से न शिकवा किया
कोशिसो से अंजाम दिया
बिना सोचे चल दिया
जो मिला उसी से मिल लिया

ढल ना जाए शाम

दिल सुनने को प्रेरित है
ढल ना जाए शाम
प्रिय कुछ ऐसा कह दो
मन दुविधा में फँसा हुआ
बिगड़ी बातें बन जाएँ 
कुछ ऐसा कह दो
दर्द बहुत जमाने में
राहत दे जो लव्ज़
कुछ ऐसा कह दो
दिल से दिल के बँटवारे
पट जाए सारी खाईं
कुछ ऐसा कह दो
हाल बड़ा बैचैन तुम बिन
मेरे मन को चैन मिलें
कुछ ऐसा कह दो
माथे पर चिंतन कि रेखा
मिट जाए हर निशान
कुछ ऐसा कह दो
कब तक यह अंजानापन
हो अपनी अलग पहचान
कुछ ऐसा कह दो
मन हलचल की ओट
थम जाए तूफान
कुछ ऐसा कह दो
जीवन है निश्प्राण प्रिय
दे दो शब्दों में प्राण
प्रिय अब कुछ ऐसा कह दो
दिल सुनने को प्रेरित है
ढल ना जाए शाम
प्रिय कुछ ऐसा कह दो

बन्द लिफाफा

बन्द लिफाफा है किस्मत का
जोर क्या कल पर किसी का
जिंदगी दिखाती रोज़ नया तमाशा
कभी जीत तो कभी मिलें हताशा
जीतने का जुनून हुआ फिज़ूल 
पर हारने पर हर न कर कबूल 
है जरुरी हर तजुर्बा जिंदगी का 
मान ले जान ले यह फलसफा
अपने हाथ सिर्फ़ कोशिसो के रास्ते
कामयाबिया सिर्फ़ सिरफिरो के वास्ते 
बन्द लिफाफा है किस्मत का
जोर क्या कल पर किसी का

ऐ मुसाफिर

माना लाख कठिन है रास्ते।
पर ऐ मुसाफिर तुझे तो चलना होगा।।
जद्दोजहद है जिंदगी के वास्ते।
फिर भी रौशन चिराग सा जलना होगा।।
कदम रख आहिस्ते आहिस्ते।
जंगे मैदान में संभल के उतरना होगा।।
नजर हटते ही होते है हादसे।
हालत के हर हाल से संभलना होगा।।
ईमान बेघर बेइमान को नमस्ते।
माहौल हमसे ही तो हमे बदलना होगा।।
इंसानो के बीच कहा फरिश्ते।
हैरान क्यू तुझे लोगो सा ढलना होगा।।
वक्त न गुजरे जाए हाँफते काफ्ते।
नई रफ्तार से कुछ कर गुजरना होगा।।
गर बदल सके तो बदल सुरते।
वरना जमीरे-कत्ल ख़ुद को मरना होगा।।
माना लाख कठिन है रास्ते।
पर ऐ मुसाफिर तुझे तो चलना होगा।।

हद की दीवानगी

भीगी आँखों में ऐहसासो के बादल
हद की दीवानगी लोग कहते पागल
मै नम आँखों से तेरा नाम लिखूँ
बहते अरमानो की बरसात लिखूँ
दिल वार दिया बस तुझ पर साजन
तुम से ख्वाबों की तस्वीर मनभावन
कैसे तुमको दिल का हाल लिखूँ
तड़पन पर हाय क्या मलाल लिखू
मेरी चाहत बस तुझ संग हर पल
सनम तू मेरी और मै तेरा केवल
तुझे सदियों का सच्चा प्यार लिखूँ
कितना मुश्किल यह इंतज़ार लिखूँ
सागर से भी गहरा प्यार है जानम
मेरी सांसो में तेरा नाम तबस्सुम
मै अपने दिल के जज़्बात लिखूँ
ख्वाईशो की हर सौगात लिखू
भीगी आँखों में ऐहसासो के बादल
हद की दीवानगी लोग कहते पागल
मै नम आँखों से तेरा नाम लिखूँ
बहते अरमानो की बरसात लिखूँ