हमने जिंदगी को जितना जाना उतना ही जुदा पाया
सच है आँजाने तो हुई लाख पर कब किसने खुदा पाया
दरबदर की ठोकरो से कब कोई महफूज़ रह पाया
बस जिंदगी की जंग में दर्दे एहसास का घना साया
सोचा कभी तो उबर जाऊँगा जब नया पड़ाव आया
पर जिंदगी के हर मोड़ पे ख़ुद को ठगा ठगा सा पाया
हर रोज़ नए रंग दिखती पर कभी कुछ समझ न पाया
कभी खुशी कभी गम और हम रहे ना हम ऐसा उलझाया
हमने जिंदगी को जितना जाना उतना ही जुदा पाया
सच है आँजाने तो हुई लाख पर कब किसने खुदा पाया
दरबदर की ठोकरो से कब कोई महफूज़ रह पाया
बस जिंदगी की जंग में दर्दे एहसास का घना साया
सोचा कभी तो उबर जाऊँगा जब नया पड़ाव आया
पर जिंदगी के हर मोड़ पे ख़ुद को ठगा ठगा सा पाया
हर रोज़ नए रंग दिखती पर कभी कुछ समझ न पाया
कभी खुशी कभी गम और हम रहे ना हम ऐसा उलझाया
हमने जिंदगी को जितना जाना उतना ही जुदा पाया
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