Wednesday, April 11, 2012

शबनम में भीगी

शबनम में भीगी ऐ जाने तमन्ना
अपने दिल की बता दे दिल में क्या है
तेरी ज़ुल्फों से होकर गिरती जो बूँदें
उनमे अंगूर-ए शराब से ज्यादा नशा है
तेरे गीले बदन से चिपकी जो चोली
हुस्न और शबाब की अजब इंतिहा है 
उस पर यह उफ्फ नजरों का जादू
ख़बर ही नहीं की अब यह दिल कहा है
नहीं दिल पे काबू हुस्ने-ए हसीना
जाने जाँ तू ही बता दे तेरी मर्जी क्या है
शबनम में भीगी ऐ जाने तमन्ना
यह दिल तेरा पागल क्या तुझको पता है

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