माना लाख कठिन है रास्ते।
पर ऐ मुसाफिर तुझे तो चलना होगा।।
जद्दोजहद है जिंदगी के वास्ते।
फिर भी रौशन चिराग सा जलना होगा।।
कदम रख आहिस्ते आहिस्ते।
जंगे मैदान में संभल के उतरना होगा।।
नजर हटते ही होते है हादसे।
हालत के हर हाल से संभलना होगा।।
ईमान बेघर बेइमान को नमस्ते।
माहौल हमसे ही तो हमे बदलना होगा।।
इंसानो के बीच कहा फरिश्ते।
हैरान क्यू तुझे लोगो सा ढलना होगा।।
वक्त न गुजरे जाए हाँफते काफ्ते।
नई रफ्तार से कुछ कर गुजरना होगा।।
गर बदल सके तो बदल सुरते।
वरना जमीरे-कत्ल ख़ुद को मरना होगा।।
माना लाख कठिन है रास्ते।
पर ऐ मुसाफिर तुझे तो चलना होगा।।
पर ऐ मुसाफिर तुझे तो चलना होगा।।
जद्दोजहद है जिंदगी के वास्ते।
फिर भी रौशन चिराग सा जलना होगा।।
कदम रख आहिस्ते आहिस्ते।
जंगे मैदान में संभल के उतरना होगा।।
नजर हटते ही होते है हादसे।
हालत के हर हाल से संभलना होगा।।
ईमान बेघर बेइमान को नमस्ते।
माहौल हमसे ही तो हमे बदलना होगा।।
इंसानो के बीच कहा फरिश्ते।
हैरान क्यू तुझे लोगो सा ढलना होगा।।
वक्त न गुजरे जाए हाँफते काफ्ते।
नई रफ्तार से कुछ कर गुजरना होगा।।
गर बदल सके तो बदल सुरते।
वरना जमीरे-कत्ल ख़ुद को मरना होगा।।
माना लाख कठिन है रास्ते।
पर ऐ मुसाफिर तुझे तो चलना होगा।।
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