Wednesday, April 11, 2012

हैरान हूँ

मै सोच कर हैरान हूँ 


जिनसे मै नहीं अंजान हूँ


यह वही शहर वही लोग है


मुझे पहचानते नहीं संजोग है 


क्योकि आज वक्त साथ नहीं


कल जैसी कोई बात नहीं


मुझे पता सुबह आयेगी सही

क्यूँकि हमेशा कि कोई रात नही


पर इस तरह जब कोई बदलता है


सरे राह गैरो की तरह मिलता है


यह फलसफा दिल को अखरता है


कैसे मुफ्फलसी में दिन बदलता है


कल तू था आज मै परेशान हूँ


हालात के हाथ बेवजह कुर्बान हूँ


ग़ुरबत में बदले लोग देख् हैरान हूँ


दर्द मुझको भी होता आख़िर इंसान हूँ


यह वही शहर वही लोग है


मुझे पहचानते नहीं संजोग है

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