Wednesday, April 11, 2012

तेरी उँगली

वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा

तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका

उम्र हुयीं तो क्या मुझे आज भी तेरी कद्र है

क्योकि तेरी वृद्ध आँखों में आज भी मेरी फिक्र है

 ऐ पिता तुझे बाहों में ले मै बड़ा गौरन्वित हूँ

पर तेरे खोने के एहसास से भी बड़ा चिन्तित हूँ

ऐ पिता तुमसे वजूद मेरा मै साया हूँ तुम्हारा

जिंदगी के सैलाब में तेरे दम से ही है किनारा

आँखों का भ्रम है वरना तुझसे ही मेरा सहारा

तू पल भर भी दूर हो दिल को नहीं गवारा

रास्तों की मौज और मै मुसाफिर तेरी गली का

क्योँकि जिंदगी का सफर तेरे बिन है फीका फीका

वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा

तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका

ऐ पिता तुमसे वजूद मेरा मै साया हूँ तुम्हारा

जिंदगी के सैलाब में तेरे दम से ही है किनारा

आँखों का भ्रम है वरना तुझसे ही मेरा सहारा

तू पल भर भी दूर हो दिल को नहीं गवारा

रास्तों की मौज और मै मुसाफिर तेरी गली का

क्योँकि जिंदगी का सफर तेरे बिन है फीका फीका

वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा

तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका

No comments: