तेरी उँगली
वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा
तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका
उम्र हुयीं तो क्या मुझे आज भी तेरी कद्र है
क्योकि तेरी वृद्ध आँखों में आज भी मेरी फिक्र है
ऐ पिता तुझे बाहों में ले मै बड़ा गौरन्वित हूँ
पर तेरे खोने के एहसास से भी बड़ा चिन्तित हूँ
ऐ पिता तुमसे वजूद मेरा मै साया हूँ तुम्हारा
जिंदगी के सैलाब में तेरे दम से ही है किनारा
आँखों का भ्रम है वरना तुझसे ही मेरा सहारा
तू पल भर भी दूर हो दिल को नहीं गवारा
रास्तों की मौज और मै मुसाफिर तेरी गली का
क्योँकि जिंदगी का सफर तेरे बिन है फीका फीका
वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा
तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका
ऐ पिता तुमसे वजूद मेरा मै साया हूँ तुम्हारा
जिंदगी के सैलाब में तेरे दम से ही है किनारा
आँखों का भ्रम है वरना तुझसे ही मेरा सहारा
तू पल भर भी दूर हो दिल को नहीं गवारा
रास्तों की मौज और मै मुसाफिर तेरी गली का
क्योँकि जिंदगी का सफर तेरे बिन है फीका फीका
वक्त था तेरी उँगली पकड़ चलना था सीखा
तेरे दम से हासिल हुआ जीने का सलीका
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