अधिपद प्रतिष्ठा सत्ता के लोभी,
धन दौलत विलासता के भोगी,
कुर्सी खातिर हुए मानसिक रोगी,
झूठे प्रपंची पर ओड़े चादर जोगी,
इनसे ही हुई सियासत तार तार,
यह कुत्सित बने धरती पर भार,
आपराधिक गतविधियो के अंबार,
वक्त यही अब मिल करो बहिष्कार,
सेवा धर्म को ताख पर रख कर,
घाव दिए जनमानस के मन पर,
भूख गरीबी सब इनके कारण,
देश कलंकित करते यह रावण,
यह जात धर्म का बीज पनपाते,
घोटाले खातिर यह जाने जाते,
इनकी तानाशाही से जलते प्रांत,
करो विरोध प्रदर्शन न बैठो शांत,
इनके अंत से ही शांति होगी,
अन्यथा नेता तो दुश्कर्म प्रतियोगी,
अधिपद प्रतिष्ठा सत्ता के लोभी,
धन दौलत विलासता के भोगी,
धन दौलत विलासता के भोगी,
कुर्सी खातिर हुए मानसिक रोगी,
झूठे प्रपंची पर ओड़े चादर जोगी,
इनसे ही हुई सियासत तार तार,
यह कुत्सित बने धरती पर भार,
आपराधिक गतविधियो के अंबार,
वक्त यही अब मिल करो बहिष्कार,
सेवा धर्म को ताख पर रख कर,
घाव दिए जनमानस के मन पर,
भूख गरीबी सब इनके कारण,
देश कलंकित करते यह रावण,
यह जात धर्म का बीज पनपाते,
घोटाले खातिर यह जाने जाते,
इनकी तानाशाही से जलते प्रांत,
करो विरोध प्रदर्शन न बैठो शांत,
इनके अंत से ही शांति होगी,
अन्यथा नेता तो दुश्कर्म प्रतियोगी,
अधिपद प्रतिष्ठा सत्ता के लोभी,
धन दौलत विलासता के भोगी,
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