Wednesday, April 11, 2012

वीर तेरी शहादत

वीर तेरी शहादत गयी बेकार
कोई नहीं सुनता तेरे घर से उठती चित्कार
असहाय हो गयी हर पुकार
सत्ता-विपक्ष की खीचतान में तथ्य हुए लाचार
कानूनी कार्यवाही लम्बा विचार
मुजरिम को मुजरिम कहने को भला कौन तैयार 
न्याय के नाम लंबा इंतज़ार
नेताओं के घड़ीयाली आँसू मुद्दे पर पार्टी प्रसार
खोखली बातें असलियत में दीवार
कोई नहीं सुनने वाला सियासत में फँसा तेरा परिवार
तेरी भटकती आत्मा भी ले स्वीकार
वीर यही सच है की तेरी शहादत गयी बेकार
कोई नहीं सुनता तेरे घर से उठती चित्कार
वीर तेरी शहादत गयी बेकार

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