Tuesday, February 19, 2019

किताब

अनपढ़े हर्फ़ों की किताब है
जिन्दगी बड़ी ही बेहिसाब हैं
बनते कभी बिखरते ख्वाब है
हारी बाज़ी कभी ख़िताब है
कभी स्याह कभी आफ़ताब है
आज हवाएं रुख ख़िलाफ़ है
तो कल महकता गुलाब है
मातहत तो कभी अश्फ़ाक है
जिंदगी का अज़ब ही रुआब है
दवा यही और यही तेज़ाब है
जानें कब बदरंग कब शबाब है
गम ख़ुशी की यही अस्बाब है
सुलझाए न सुलझे बेज़बाब हैं
फ़िक्र कल की और जां बेताब है
कमबख्त....
यह जिन्दगी बड़ी बेहिसाब है
अनपढ़े हर्फ़ों की एक किताब है

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