Tuesday, February 19, 2019

यू ही नाही

यू ही नहीं मुस्करा रहा हूँ मैं
फुर्सत के कुछ पल चूरा हूँ मैं
यह इत्मिनान कहाँ मिलता है
मिल गया..
तो ख़ुदा का शुक्राना बनता है
वक्त की मौजें उठा रहा हूँ मैं
मिले फुर्सत के पल मुस्करा रहा हूँ मैं

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