Tuesday, February 19, 2019

सब मिल जाएगा बाज़ार में

यू तो सब मिल जाएगा बाज़ार में
सौदे नही आत्मीयता स्नेह प्यार में
नही मिलते बीते पल इस संसार मे
फिर क्यों ???
बावरा मन बचपन के इंतजार में
कागज की कश्ती वह टूटे खिलौने
वो हरियाली छत वो दूब के बिछौने
लूका छुपी के खेल मोहल्ले के बच्चे
वह पुराने दिन वह सुहाने थे अच्छे
गिलट के सिक्के गुल्लक में जोड़ के
महल बनाएंगे गुल्लक को तोड़ के
तितली और जुगनू पकड़ने की होड़
उत्साह उमंगों भरे थे जीवन के मोड़
कल की न चिंता न थे द्वंद विकार में
जहाँ ममत्व स्नेह था डाँट व दुलार में
उन पलों को खोजता मन निराधार में
काश लौट सकते बालपन के संसार मे
निराश मन बीते बचपन के इंतजार में
बस वही नही इस भीड़ और बाज़ार में
फिर क्यों ???
बावरा मन बचपन के इंतजार में।

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