हाँ तुम ही बस तुम ही याद आये......
मुझे रात के हर पहर तुम ही तुम याद आयें
चमकते चाँद की ओट जब तारे टीमटिमायें
लगा जैसे हो तुम्हारा आँचल मन मेरा चुराए
रजनीगंधा महक लिये पवन के झोकें आयें
ये एहसास था तुम्हारा चाह प्यार की जगाये
न नींद न चैन, मुझे हुआ क्या कोई तो बताये
तुम्हारी प्रतिपल कामना में इच्छित मेरी बाहें
करवटें बदलती घड़िया पूछती क्यूँ नही आये
मुझे दिन क्या हर पहर बस तुम ही याद आये
हाँ तुम ही बस तुम ही याद आये......
मुझे रात के हर पहर तुम ही तुम याद आयें
चमकते चाँद की ओट जब तारे टीमटिमायें
लगा जैसे हो तुम्हारा आँचल मन मेरा चुराए
रजनीगंधा महक लिये पवन के झोकें आयें
ये एहसास था तुम्हारा चाह प्यार की जगाये
न नींद न चैन, मुझे हुआ क्या कोई तो बताये
तुम्हारी प्रतिपल कामना में इच्छित मेरी बाहें
करवटें बदलती घड़िया पूछती क्यूँ नही आये
मुझे दिन क्या हर पहर बस तुम ही याद आये
हाँ तुम ही बस तुम ही याद आये......
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