ए मेरे वतन के लोगो फिर से वह नज़ारा याद करों
जरा वीरों के ह्रदय की ज्वाला का तेजस्वी भाव भरों
जिन के शोलो में जलके परतंत्रता भी खाख हुई
सौर्यवीर शहीदों को पा धरती माँ बाग बाग हुई
मत पूछों क्या क्या न खो कर आई है स्वतंत्रता
चरखे अहिंसा दांडी से मात्र नहीं पाई है स्वतंत्रता
अनगिनत कुर्बानीयों के बाद कमाई है स्वतंत्रता
वीरों ने अपने जिंदगी के बदले कमाई है स्वतंत्रता
जिन्ना दल गद्दार था जिसने सरहद पर रेखा खिंची थी
बिसार दिया कि वीरों ने आजादी अपने लहू से सींची थी
जरा वीरों के ह्रदय की ज्वाला का तेजस्वी भाव भरों
जिन के शोलो में जलके परतंत्रता भी खाख हुई
सौर्यवीर शहीदों को पा धरती माँ बाग बाग हुई
मत पूछों क्या क्या न खो कर आई है स्वतंत्रता
चरखे अहिंसा दांडी से मात्र नहीं पाई है स्वतंत्रता
अनगिनत कुर्बानीयों के बाद कमाई है स्वतंत्रता
वीरों ने अपने जिंदगी के बदले कमाई है स्वतंत्रता
जिन्ना दल गद्दार था जिसने सरहद पर रेखा खिंची थी
बिसार दिया कि वीरों ने आजादी अपने लहू से सींची थी
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