Tuesday, February 19, 2019

रोहिंग्या

सर्वप्रथम निजमनुज की हरो वेदना पीर
देश के कर्ताधर्ताओ से है ये विनय अपील

रोहिंग्या शरणार्थियों के परिपेक्ष्य में
आप यथार्थ न तजे कर्तव्यनिर्पेक्ष में

यदि वे अभ्यागत रहते न नासूर बने
तो स्वयं को समझाते मन न क्रूर बने
शरणार्थी बन कितने आये जो छलते है
आतंकी खंजर बन वार पीठ पर करते है
माना आतंकियों से पृथक निरे अबोध है
किंतु स्वदेशीदीनो के हीत में ये अवरोध है
देश की अपनी भी अभिन्नय समस्याऐ है
भूख और गरीबी की भीषण वेदनाएँ है
देश उबारे उन दीनो को जो स्वदेशी है
अपितु कल्याण के शेष तर्क उपदेशी है
ज्ञात मुझे रोहिंग्या संकट ह्र्दयविदारक है
विपदाए हर अवस्था होती कष्टदायक है
यदि देखें तो उससे अधिक पीड़ा सहते है
अपनी भूमि पे गरीब शरणार्थी से रहते है
अतः उन स्वदेशी अपने ही जनमानस हेतू
यदि बना सके सुसज्जित जीवन का सेतू
तद सर्वजगत कल्याणहीत में हाथ बढ़ाये
जीवनपर्यंत सीमाओं में अभ्यागत बसाए

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