Tuesday, February 19, 2019

कैसे जय जयकार लिखे

लिखने को तो लिख देता पर कैसे जय जयकार लिखे
जो अंतरमन को झकझोर रहा उसे कैसेे स्वीकार लिखे
संसद सत्ता पक्ष विपक्ष तक कितने ही मुद्दे बेकार दिखे
पाँचसितारों के चकाचोंध में ओझल सा अंधकार दिखे
उन पहलू पे कलम हम्हारी क्यों न दोधार तलवार लिखे
झोपड़ से सड़को तक खोते बचपन को इस बार लिखे
नई योजना नई नीतियां खोखली बातें न मनुहार लिखे
लिखना है तो क्यों न अथक पीड़ा का वह संसार लिखे
नीली हरी बत्ती अनदेखा करती क्यों न वो विकार लिखे
दूध नहीं स्तन में खून पिलाती माँ का सीना तार तार लिखे
बेबस गरीब बाप का रुदन फिर कैसे हम श्रंगार लिखे
स्वपन देखना जिनका दूभर क्यों न वो पीड़ा प्रहार लिखे
अनदेखे मजबूरों पे बेपरवाह सियासत और सरकार दिखे
बीते वर्ष आजादी को फिर भी गुलाम चलो धिक्कार लिखे
गर कोई थामने इनको आये तो बोझिल दिल उपकार लिखे
वरना हमाम के नंगो पे क्यों नाहक ही जय जयकार लिखे
जो अंतरमन को झकझोर रहा उसे कैसेे स्वीकार लिखे

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