हो कौशल्या या हो कैकेयी
हर स्वरूप में माँ ममतामयी
पुत्रहित वो सीमाएं लांघ गयी
भेजा वन राम संग वैदेयी
युगों युगों की ताड़ना सही
पुत्रमोह क्या से क्या बन गयी
थी माँ प्रीपुत्र भरत की स्नेही
निहित भरत की माँ सह्रदयी
माँ हर स्वरूप ममतामयी
हो कौशल्या या हो कैकेयी
हर स्वरूप में माँ ममतामयी
पुत्रहित वो सीमाएं लांघ गयी
भेजा वन राम संग वैदेयी
युगों युगों की ताड़ना सही
पुत्रमोह क्या से क्या बन गयी
थी माँ प्रीपुत्र भरत की स्नेही
निहित भरत की माँ सह्रदयी
माँ हर स्वरूप ममतामयी
हो कौशल्या या हो कैकेयी
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