Tuesday, February 19, 2019

मेरी स्वपन प्रेयसी

मन मस्तिष्क तुम रची बसी
आ जाओ मेरी स्वप्न प्रेयसी
देखों बारिश की बूंदे बरसी
दर्श को तेरे अंखिया तरसी
ऋतु सावन का प्रथम चरण
स्वीकार करों स्नेह निमंत्रण
रिमझिम सी तुम आ जाओ
तन मन व्याकुल छा जाओ
प्रिय पाहून मैं करू प्रतीक्षा
कब पूरन होगी मन की इच्छा
मैं धरा की प्यासी माटी सा
तेरी चाहत में तरसा तरसा
तुम घन छुपे चंद्र सी लुप्त लुप्त
प्रिय तुम बिन मन छुब्ध छुब्ध
मन मीत मेरी तुम स्वप्न प्रेयसी
तुम जीवन की हर्षित ऋतू सी
प्री बरस जाओ मेघ मिलन सी
तेरी राह में यह अखियाँ तरसी
प्रिय प्रेम ब्यार की बारिश बरसी
आ भी जाओ मेरी स्वप्न प्रेयसी
सुन बुहार अब आ भी जाओ ..
आ भी जाओ प्रिय प्रेम प्रेयसी
तुम आस मेरे तृषित जीवन की
तुम रिमझिम रिमझिम बारिश सी।

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