कौन है जो....
ध्वल चांदनी सी मन व्योम में जो छा गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
अपूर्व निराला एहसास उसका
सुखद निर्मल वो हिमकर छटा
उरमोहनी सी वह कनक कांता
मरु धरा भिगो गई हो अर्कजा
कौन है जो....
सुखद आमोद बन जीवन डगर आ गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
मौन जीवन में मधुर संगीत से
घोल गयी मधु स्नेही प्रीत से
अनुग्रहित मन, मन के मीत से
आंनद प्रेम की पावन जीत से
कौन है जो....
संग प्रणय अनुराग हर्ष उत्सव मना गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
तन मन की वो अनूठी चेतना
प्रिय अगम से मिटा तम घना
हुआ प्रफ़ुल्लित मन अनमना
पा कर लगा हुई पूर्ण कामना
कौन है जो....
मेरे अंतकरण में नवजीवन जोश जगा गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
ध्वल चांदनी सी मन व्योम में जो छा गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
अपूर्व निराला एहसास उसका
सुखद निर्मल वो हिमकर छटा
उरमोहनी सी वह कनक कांता
मरु धरा भिगो गई हो अर्कजा
कौन है जो....
सुखद आमोद बन जीवन डगर आ गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
मौन जीवन में मधुर संगीत से
घोल गयी मधु स्नेही प्रीत से
अनुग्रहित मन, मन के मीत से
आंनद प्रेम की पावन जीत से
कौन है जो....
संग प्रणय अनुराग हर्ष उत्सव मना गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
तन मन की वो अनूठी चेतना
प्रिय अगम से मिटा तम घना
हुआ प्रफ़ुल्लित मन अनमना
पा कर लगा हुई पूर्ण कामना
कौन है जो....
मेरे अंतकरण में नवजीवन जोश जगा गयी
मेरे सूने जीवन को प्रसून देह से महका गयी
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