कल तलक थे जेल में आज संसद के द्वार खुल गए
जीत कर रुतबा मिला और सारे दोष धूल गए
ये राजनीति की गलियां जहाँ चोर सिपाही सब मिल गए
बरस अब की बरस मेघा जरा जोर से
बह जाए द्वेष घृणा क्लेश चहु ओर से
फुहार है या प्यार है?
जब जिंदगी की तपिश जला रही थी मुझे
वह बारिश की बूंद बन भीगा रही थी मुझे
जो चाहूँ वह मिल जाएगा
कोई भी पल डरा न पायेगा
सच ही हर बच्चे की सोच है
पिता है तो जग जीत जाएगा
दुनियां सच कहती है
मिलेगा वही जो किस्मत में होगा तेरी
आज़माया तो सच पाया
तभी तो.. किस्मत से मिली हैं माँ मेरी
जीत कर रुतबा मिला और सारे दोष धूल गए
ये राजनीति की गलियां जहाँ चोर सिपाही सब मिल गए
बरस अब की बरस मेघा जरा जोर से
बह जाए द्वेष घृणा क्लेश चहु ओर से
फुहार है या प्यार है?
जब जिंदगी की तपिश जला रही थी मुझे
वह बारिश की बूंद बन भीगा रही थी मुझे
जो चाहूँ वह मिल जाएगा
कोई भी पल डरा न पायेगा
सच ही हर बच्चे की सोच है
पिता है तो जग जीत जाएगा
दुनियां सच कहती है
मिलेगा वही जो किस्मत में होगा तेरी
आज़माया तो सच पाया
तभी तो.. किस्मत से मिली हैं माँ मेरी
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