Tuesday, February 19, 2019

दीवाली

सूने थे चहुचौबारे गलियां भी खाली थी
उपवन की कुमसायी सी सब डाली थी
पड़े अवधेश के पग तो मनी दिवाली थी
पतझड़ मन ऋतु में छाई हरियाली थी
वैदेही पा अवध में खुशियां आली थी
देख लखन उर्मिल स्वर वीणापाणि थी
उर शोभित मंजुल मिलन दिवाली थी
भरत मिलाप से छटी रात जो काली थी
पुत्रों को पा ममता से माँ वारी वारी थी
राम लखन सीता से पूर्ण फुलवारी थी
सजी अजुध्या जगमग जगमग दिवाली थी
उसी दिवस के हर्ष में सम्मलित हो जाते है
एक साथ सब मिल दीप से दीप जलाते है
कारज हो पूर्ण जनों के स्वपन यही सजाते है
पावन है पर्व दिवाली मिल के साथ मनाते है
HAPPY DlPAWALI

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