सूने थे चहुचौबारे गलियां भी खाली थी
उपवन की कुमसायी सी सब डाली थी
पड़े अवधेश के पग तो मनी दिवाली थी
पतझड़ मन ऋतु में छाई हरियाली थी
वैदेही पा अवध में खुशियां आली थी
देख लखन उर्मिल स्वर वीणापाणि थी
उर शोभित मंजुल मिलन दिवाली थी
भरत मिलाप से छटी रात जो काली थी
पुत्रों को पा ममता से माँ वारी वारी थी
राम लखन सीता से पूर्ण फुलवारी थी
सजी अजुध्या जगमग जगमग दिवाली थी
उसी दिवस के हर्ष में सम्मलित हो जाते है
एक साथ सब मिल दीप से दीप जलाते है
कारज हो पूर्ण जनों के स्वपन यही सजाते है
पावन है पर्व दिवाली मिल के साथ मनाते है
HAPPY DlPAWALI
उपवन की कुमसायी सी सब डाली थी
पड़े अवधेश के पग तो मनी दिवाली थी
पतझड़ मन ऋतु में छाई हरियाली थी
वैदेही पा अवध में खुशियां आली थी
देख लखन उर्मिल स्वर वीणापाणि थी
उर शोभित मंजुल मिलन दिवाली थी
भरत मिलाप से छटी रात जो काली थी
पुत्रों को पा ममता से माँ वारी वारी थी
राम लखन सीता से पूर्ण फुलवारी थी
सजी अजुध्या जगमग जगमग दिवाली थी
उसी दिवस के हर्ष में सम्मलित हो जाते है
एक साथ सब मिल दीप से दीप जलाते है
कारज हो पूर्ण जनों के स्वपन यही सजाते है
पावन है पर्व दिवाली मिल के साथ मनाते है
HAPPY DlPAWALI
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