Tuesday, February 19, 2019

अटल

अपूर्णीय क्षति कवि हृदय , कुशल वक्ता और विद्वान जननायक को सादर श्रद्धांजलि

जो ठान ले वह ठान ले वो मन से अटल थे
वो व्यक्तिव से अटल न मात्र नाम से अटल थे
भावों को नित नए अनूठे काव्य में रचते थे
पक्ष क्या विपक्ष हर एक ह्रदय जो सजते थे
आलोचकों को भी स्नेह करें वह ऐसा महान थे
जनमानस के प्राण बसे नवज्ञान के अभियान थे
देश के पटल पर स्थापित जो नाम अमर अजेयी है
वह जन जन के प्रिय नेता अटल बाजपेयी है
बीत गया वो स्वर्गीय पर जो जीत गया वो अटल है
स्तंभ की भांति स्मृतियों में जीवंत रहेंगे वो प्रति पल है
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा पक्तियों में अमर है
गीत नया गाता हूँ का जो निज जाग्रत सा स्वर है
जनमानस की प्रेरणा जो कल आज और कल थे
वो व्यक्तिव से अटल न मात्र नाम से अटल थे

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