यह अपने आज के दुःखद भारत की स्थिति है
जहाँ परम्परा पहचान भाषा एक परिस्थिति है
राष्ट्र राष्ट्रीयता राष्ट्रवाद लोकतंत्र की हत्या है
है सत्य संविधान से खेलना, बाक़ी सब मिथ्या है
हिंदी हिन्द हिन्दू भगवा आतंक की पहचान है
तो इनका स्तर गिराना प्रजातन्त्र का सम्मान है
अतः हिंदी दिवस में सिमटी मिलन सूत्र की रेखा
एक दिवस ही पूज रहे फिर पलट के किसने देखा
सब को सब कह सकने की मिली अजब स्वतंत्रता
अपनी सुविधा से तय कर दी सबने लोकतंत्र सहिंता
देश से बड़ा कद जनमानस का कैसी विसंगति है
खेद मुझे यह अपने आज के भारत की स्थिति है
जहाँ परम्परा पहचान भाषा एक परिस्थिति है
राष्ट्र राष्ट्रीयता राष्ट्रवाद लोकतंत्र की हत्या है
है सत्य संविधान से खेलना, बाक़ी सब मिथ्या है
हिंदी हिन्द हिन्दू भगवा आतंक की पहचान है
तो इनका स्तर गिराना प्रजातन्त्र का सम्मान है
अतः हिंदी दिवस में सिमटी मिलन सूत्र की रेखा
एक दिवस ही पूज रहे फिर पलट के किसने देखा
सब को सब कह सकने की मिली अजब स्वतंत्रता
अपनी सुविधा से तय कर दी सबने लोकतंत्र सहिंता
देश से बड़ा कद जनमानस का कैसी विसंगति है
खेद मुझे यह अपने आज के भारत की स्थिति है
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