Tuesday, February 19, 2019

उम्र का पता नहीं

मायूसियों इतनी की सांसें भी ली जाती नही
ऐसा क्यों लगता है कि जिंदगी जी जाती नहीं

ढूंढ लो खुशियां वरना इस उम्र का पता नहीं
के मुस्कराने चले तो साँसों का अतापता नहीं

मैं हर हाल खुश मुझे जिंदगी से शिकवा नहीं
अपनों का साथ असल ख़ुदा की दुआ है यहीं

है तुम्हारा भी सकूँन पास क्यूँ नज़र जाती नहीं
तन्हा रहके सफ़र-ऐ जिंदगी बसर की जाती नहीं

हो मायूस अकेली जिंदगी तो जीयी जाती नहीं
थाम लो हाथ अपनों का, फिर घड़ी आती नही

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