Tuesday, February 19, 2019

प्रिय तुम

प्रिय तुम
सांझ सिंदूरी
समा गयी
मेरी अँजुरी
अनल त्याग
शीतल सुनहरी
हुआ आगमन
गयी दुपहरी
खग विहग की
चहक सुरी
लौटे पंछी
अपनी नगरी
तुम संदेश लिए
विश्राम भरी
व्याकुल शिशु
धूप थी प्रहरी
तुम आयी
शीतलता ठहरी
क्रीडामय हो
खुली शिशु गठरी
नेह निहारे
डगरी डगरी
तुम से ही है
मिलन घड़ी
हर आँगन की
तुम आस बड़ी
जगमग प्रभास
लालिमा भरी
ऐसी प्रिय तुम
सांझ सिंदूरी
समा गई
मेरी अँजुरी।

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