Tuesday, February 19, 2019

टुकड़ियां

न बने सिख ईसाई हिन्दू क्या मुसलमान
बेहतर होगा कि बन जाएं हम नेक इंसान

झूठी प्रशंसा किजिये जो सबका मन ले मोहे
सच रखा जो सामने तुझसे बुरा न कोये

धन संपदा साथ तो बहुतेरे है साथ
एक अकेली रह गयी निर्धनता खाली हाथ
धनी जन के चोचले सबके सब सर माथ
धिक्कार हाथ आएगी जो गरीब जन्मजात

न समझ की जिंदगी को लेकर तेरे पास ही शिकायतों की छिटांकसी है
शिकायतें तो हजार उनके पास भी जिन्हें जिंदगी ने हर खुशी बक्शी हैं।

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