मिट्टी को स्वरूप दे जो एक मुकाम देती
जीवन वार जो अपना सुबह और शाम देती
वह माँ ही है जो जीवन की घनी धूप में
अपने शीतल आँचल में ममता भरी छांव देती है
दुनिया की कठिन डगर वह सार्थक अंजाम देती है
माँ ही है अटूट ताकत भरा पिता ईनाम देती है
दोनो की उंगलिया पकड़ अपने पैर खड़े हो गए हम
आज कहते उनसे आप क्या समझेंगे बड़े हो गये हम
भूल गए जो हमहारे सपने सजा मुकाम देते है
घुटने पर रेंगते बच्चे को जो अपना नाम देते है
ओलाद की खुशी में ही अपना सामदाम देते है
अंततः उन्हें ही हम नासमझ का तगमा इनाम देते है
जीवन वार जो अपना सुबह और शाम देती
वह माँ ही है जो जीवन की घनी धूप में
अपने शीतल आँचल में ममता भरी छांव देती है
दुनिया की कठिन डगर वह सार्थक अंजाम देती है
माँ ही है अटूट ताकत भरा पिता ईनाम देती है
दोनो की उंगलिया पकड़ अपने पैर खड़े हो गए हम
आज कहते उनसे आप क्या समझेंगे बड़े हो गये हम
भूल गए जो हमहारे सपने सजा मुकाम देते है
घुटने पर रेंगते बच्चे को जो अपना नाम देते है
ओलाद की खुशी में ही अपना सामदाम देते है
अंततः उन्हें ही हम नासमझ का तगमा इनाम देते है
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