मनोनीत हुए गरीबी से
हमको टुकड़ो पे पलना है
रहा बसेरा फुटपाथो पे
यही जीना यही मरना है
पीड़ा और वेदना से
जीवन नित दो चार हुआ
नित नई कूटप्रश्न से
अपना साक्षात्कार हुआ
आश्रित स्वसंतानों से
बस जीवन की माया है
दयित्वों के इसी बोध से
मात्र सजीव ये काया है
भाग सकूँ इस रण से
अपने बस की बात नहीं
दुर्गमता के समागम से
मन तन को विराम नहीं
नील अचल के तारों से
अधिक समस्या जीवन की
अनुमान रहा हर पल से
दे जाएगा एक नई विपत्ति
नित नीर बहे नैनो से
भूख प्यास का खेला है
लगे मृत्यु भली जीवन से
स्वप्न सुखों की बेला है
मेरे जने आशाओं से
मुझे खिवैय्या मान रहे
की मैं दुःअवस्थाओं से
पार लगाऊंगा ये भान रहे
मैं भटकाऊ सच्चाई से
की तुम्हें वेदना सहना है
संभवतः तुझे इसी तरह से
जीवनपर्यंत रहना है
तुम मनोनीत गरीबी से
तुमको टुकड़ो पे पलना है
है रैन बसेरा फुटपाथो पे
यहीं जीना यहीं मरना है
हमको टुकड़ो पे पलना है
रहा बसेरा फुटपाथो पे
यही जीना यही मरना है
पीड़ा और वेदना से
जीवन नित दो चार हुआ
नित नई कूटप्रश्न से
अपना साक्षात्कार हुआ
आश्रित स्वसंतानों से
बस जीवन की माया है
दयित्वों के इसी बोध से
मात्र सजीव ये काया है
भाग सकूँ इस रण से
अपने बस की बात नहीं
दुर्गमता के समागम से
मन तन को विराम नहीं
नील अचल के तारों से
अधिक समस्या जीवन की
अनुमान रहा हर पल से
दे जाएगा एक नई विपत्ति
नित नीर बहे नैनो से
भूख प्यास का खेला है
लगे मृत्यु भली जीवन से
स्वप्न सुखों की बेला है
मेरे जने आशाओं से
मुझे खिवैय्या मान रहे
की मैं दुःअवस्थाओं से
पार लगाऊंगा ये भान रहे
मैं भटकाऊ सच्चाई से
की तुम्हें वेदना सहना है
संभवतः तुझे इसी तरह से
जीवनपर्यंत रहना है
तुम मनोनीत गरीबी से
तुमको टुकड़ो पे पलना है
है रैन बसेरा फुटपाथो पे
यहीं जीना यहीं मरना है
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