Tuesday, February 19, 2019

जीवन स्वप्न

जीवन स्वप्न साकार बने चलो एक हुंकार भरे।
गिरते कदमो से उठकर चलो फिर एकबार चले।
कंटक पथ पर रुकना चलना नाहक ही जंजाल बने।
मन का विश्वास अडिग रहे अजय एक आकार बने।
दर्द हार और निराशा है विफल मन की परिभाषा।
स्वपनों को पलने दो जब तक पूर्ण न हो अभिलाषा।
नित नई चुनोती लेकर आती धीर धरो को नहीं हताशा।
हो विफलता का मंथन रहे सर्जन जीत की जिज्ञासा।
नवसंकल्पो की धारा में करो सदा अविश्वास परे।
थमने न दो कदमो को कितना भी अवरोध मिले।
जीवन स्वप्न साकार बने चलो एक हुंकार भरे।
गिरते कदमो से उठकर चलो फिर एकबार चले।

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