देश खाया प्रदेश खाया , हमने बेच दिया जमीर!
अब निर्धन को खाउंगा, ताकि बचे अमीर!
गली गाव पर केतु भारी क्या बदलेगी तक़दीर!
हम दिखलावे के मलहम है हमसे ही है पीर!
चुनाव बाद हम महलों में काबिज, तेरे पल्ले नीर!
तानाशाही वजुद हम्हारा, जो तुम पर जकड़े जंजीर!
घोटालों से भरे खजाने, किस्मत में मेवे खीर!
पर अभी तो.....
निर्धन को खाउंगा, ताकि बचे अमीर!
कथनी पर न जाइये हम छोड़ें झूठे वादों के तीर!
हम कांग्रेसी सिपाही है जो घाव करे गम्भीर!
देश खाया प्रदेश खाया , हमने बेच दिया जमीर!
अब निर्धन को खाउंगा, ताकि बचे अमीर!
गली गाव पर केतु भारी क्या बदलेगी तक़दीर!
हम दिखलावे के मलहम है हमसे ही है पीर!
चुनाव बाद हम महलों में काबिज, तेरे पल्ले नीर!
तानाशाही वजुद हम्हारा, जो तुम पर जकड़े जंजीर!
घोटालों से भरे खजाने, किस्मत में मेवे खीर!
पर अभी तो.....
निर्धन को खाउंगा, ताकि बचे अमीर!
कथनी पर न जाइये हम छोड़ें झूठे वादों के तीर!
हम कांग्रेसी सिपाही है जो घाव करे गम्भीर!
देश खाया प्रदेश खाया , हमने बेच दिया जमीर!
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