- तुम साज हो दिल के,
तुम मीत हो मन के!
तेरे गीत गुनगुनाकर,
तेरे क़रीब मै आकर!
मै सब कुछ भूल जाता हूँ,
तेरे ही गीत गाता हूँ!
इन प्यार भरे क्षण में,
मेरे रोम रोम हर कण में!
एक तेरी देह महकती है,
दूजी मेरी चाहत बहकती है!
जब साँसें भी थमती है,
तेरे नाम पे धड़कती है!
जीवंत मन मुस्क्राता है,
तेरा कोमल स्पर्श सुहाता है!
भावाना सवेंदना हृदय में पलती है,
लहरे प्रेम की नयनो में उमड़ती है!
प्रिय जब से तुम एक जान हुयीं,
जीवन से मेरी पहचान हुयीं!
और मन मेरा कह उठा............
तुम साज हो दिल के,
तुम मीत हो मन के!
धन्य मै प्राणप्रद प्रेम उपहार पाके,
पूर्ण किया तुमने जीवन में आके!
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Wednesday, July 31, 2013
धन्य मै प्राणप्रद प्रेम उपहार पाके
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