- हाले दिल मजबूर हूँ अपनी खुशी तेरी खुशी के बाद आयी
नेह नदी नीर सी बही और दर्द की सौगात आयी
हर बात से बात आई जब कभी भी बात आयी
खीँच गयी तस्वीर कल की जब तुम्हारी बात आयी
भुलाने की कोशिशों में हरदम तुम्हारी याद आयी
थी चाँद कि ख्वाहिशे दिल में, याद अधूरी फरियाद आयी
नेह नदी नीर सी बही और दर्द की सौगात आयी
कहने को बहुत था पर जुबा पर न बात आयी
मिलन के स्वप्न बुने पर कभी न वह रात आयी
आस् दिल कि दिल में रही तन्हाइ ही साथ आयी
हम जीत सके न दिल तेरा अपने हिस्से में मात आयी
हाले दिल मजबूर हूँ अपनी खुशी तेरी खुशी के बाद आयीनेह नदी नीर सी बही और दर्द की सौगात आयी............
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Wednesday, July 31, 2013
नेह नदी नीर सी बही
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