- तेरे इंतज़ार में न जाने कितना वक्त जाया गया
तुम दिखी भी तो वह तुमसे ही ना बताया गया
उम्र के साथ उम्मीद दिल में ही दफन हो गयी
वक्त की दहलीज़ पर तुम जब कही खो गयी
लाख चाहा पर दर्द आँखों से छुपाया न गया
लबो पे प्यार का फलसफा गुनगुनाया न गया
चाहतों की बारिश कब यादों की तपन हो गयी
तुम्हे अपना बनाने की ख्वाहिश चुभन हो गयी
लाख चाहा पर आज भी तुझे भुलाया न गया
तू याद न आए वक्त जिंदगी में बनाया न गया
तेरे इंतज़ार में न जाने कितना वक्त जाया गया
तुम दिखी भी तो वह तुमसे ही ना बताया गया
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Wednesday, July 31, 2013
तेरे इंतज़ार में
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