Wednesday, August 3, 2011


कैसे मनि दीवाली अबकी घर मा जर्सो तेल नही!
सुने आँगन को देख देख, बच्चन में खेल नही!
गाव जाये कैसे, बिन खतरे अब कोई रेल नही!
कैसे मनि दीवाली अबकी घर मा जर्सो तेल नही!
तीज त्यौहार भये सब सुने,खुशियाँ से अब मेल नही!
आज अपने दिल की कहाँ ना सके,देश नही यह जेल भयी!
कैसे मनि दीवाली अबकी घर मा जरसो तेल नही!

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