Tuesday, August 9, 2011

"देश 65वे स्वतंत्र दिवस पर हार्दिक सवेदना"

bharat mata मेरे देश के समस्त भाइ बहनों को देश 65वे स्वतंत्र दिवस पर हार्दिक सवेदना, निराश भाई बहनों को इस आशा के साथ की "हम होंगे कामयाब एक दिन" कि पंक्तिया समर्पित करना चाहुंगा, माना देश के चंद नेताओं ने हमारी आजादी को कलंकित कर दिया है परन्तु यदि हमारे संकल्प में तनिक भी एकजुटता है तो आने वाला समय हमें वास्तविक स्वतंत्रता दिला सकता है! मै मानता हूँ कि आज नाम कि आजादी और सत्ताधारियों के शोषण से हम त्राहीमान है परन्तु याद करो उन वीरों को जिन्होंने देश कि आजादी के लिए हँसते हँसते अपने प्राण निछावर कर दिए तब जा कर अंग्रेजो का सफाया अपनी मातृभूमि से हुआ, तो आज फिर क्यू ना वही जनुन दिलों में जगा कर फिर वो ही उमंग दिलों में प्र्ज्वल्लित कि जाए और देश के भीतर घात करने वालों का सफाया किया जाए! यह राह कठिन है क्योकी इसमे कुछ अपने भी द्रोहियो की पंक्ति में नजर आयेंगे पर याद करो भगवान कृष्ण के वोह उपदेश जिसने अर्जुन को प्रेरित किया कौरवो के विरुद्ध युध्द के लिए! मेरे भाइयों निश्चय ही भगवान कृष्ण का यह प्रेरणास्रोत उपदेश तुम्हें तुम्हारे उद्देश्य से भ्रमित नही होने देगा! वरना धन दौलत के कारण देश का सौदा करने वाले यह बेईमान नेता भारत की पावन संस्कृति का स्त्यानश कर देंगे,यह कभी देश में विदेश व्यापार नीति को बड़ावा देने के नाम विदेशियो की घुसपैठ करवाते है और हम हिंदुस्तानियों के मुँह का निवाला विदेशियों के हवाले कर देते है साथ ही भारतीय मुद्रा का हनन भी सीधे तौर से हम्हारे भारत को ही झेलना पड़ता है, रोटी कपड़ा मकान के अजेंदे का मखौल बनाने वाले यह नेता ख़ुद तो ऐशो आराम की जिंदगी व्यतीत करते है  और आम जनता कि माँग को विद्रोहियो का आंदोलन करार देते है,इनकी निरंकुश्ता का आलम तो देखिये यह तानाशाहों कि तरह  हर आम आदमी कि आवाज़ कुचलने में कोई कसर नही छोड़ते है! तो जागो मेरे देश के भाई बहनों और स्वप्न भारी जीवन से बाहर आओ, जिसे तुम आजादी का दिवस मान कर माना रहे हो वोह क्या वास्तव में आजादी है या आजादी के नाम पर एक भद्दा मजाक, यदि तुम्हें लगे मेरी बातों में तनिक भी सच्चाई है तो जो लोग आज परिवर्तन कि मशाल ले कर आगे बड़ रहे है उनके साथ मात्र कंधे से कंधा मिला कर चल लो,  यह देश कि अस्मिता को बचाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकता है मेरे भाइयों अपने विचारों को अपने दिलों में दबा कर जिये तो क्या जिये उन्हे लोगो कि आवाज़ में शामिल कर मुकम्मल मुकाम दो, यह देश है तुम्हारा और तुम भी हो अगर देश को तो इसे इंसाफ दो तभी वास्तविक स्वतंत्रता दिवस कि परिकल्पना संभव है वरना ये कोरा मजाक है और कोरा मजाक रहेगा!

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