Friday, August 5, 2011

मुश्किलें


मुश्किलें जब तलक ना हो जिंदगी में। जिंदगी खाली-खाली सी लगती है।
यह समझौता कर लेना ही बेहतर है क्योकि जिंदगी में खुशिया तो गाली लगती है!
छीन गया अमन चैन, अब तो केवल और केवल मुश्किलो कि बहाली लगती है!
आम आदमी कि गमजदा जिंदगी, केवल सियासतकारो कि ही दिवाली लगती है!
मुफ्फलसी का आलम मत पूछो मेरे दोस्त, दौड़ कितना भी ले हाथ कंगालि लगती है!
अपने ही घर में हाल होगा ऐसा सोच के कल कि तस्वीर में बदहाली दिखती है!
आँखों में नींद नही, नींद आई भी तो सुखद सपनों से खाली दिखती है!
मुश्किलें जब तलक ना हो जिंदगी में। जिंदगी खाली-खाली सी लगती है।
यह समझौता कर लेना ही बेहतर है क्योकि जिंदगी में खुशिया तो गाली लगती है!
हर रोज़ आतंक का साया, अब अगली मौत में अपनी ही बारी लगती है!
क्या जबाब दू इस जिंदगी को, हर सुभो शाम झगझोरती साँवली लगती है!
रोज़ सुनता हूँ ख़बर जो आम हुई जिंदगी में इसलिए हर ख़बर अब पुरानी लगती है!
हम आम आदमी है हमे मरना है हर रोज़, जिंदगी कि बात तो अब जाली लगती है!

मुश्किलें जब तलक ना हो जिंदगी में। जिंदगी खाली-खाली सी लगती है।
यह समझौता कर लेना ही बेहतर है क्योकि जिंदगी में खुशिया तो गाली लगती है!


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