
यह सभी जानते है की संसद और सांसद देश के भीतर क्या होना चाहिये इसका निर्धारण करने के लिए सवीधान द्वारा निर्धारीत है, परन्तु इस सत्य को भी नही नकारा जा सकता है कि आम जनता अपनी बात रख सकती व उसे इस सैवैधानिक अधिकार से भी वंचित नही किया जा सकता और फिर जब मुद्दा ही खुले आम हो रहे भ्रष्टाचार से हो तो आम जनता अपनी बात ही नही रख सकती है अपितु उसके विरोध स्वरूप आंदोलन भी कर सकती है, ऐसे में उनकी आवाज़ को दबाने वाला तंत्र प्रजातंत्र नही बल्कि तानाशाह तंत्र ही कहलायेगा और इस तरह कि गतिविधि को कोई भी विचारधारा अपना समर्थन नही देती है!
समय रहते यदि सच्चे कांग्रेसियों ने इस अत्याचार के खिलाफ अगर अपनी असहमति नही दर्ज कराई तो वह समय दूर नही जब असल काँग्रेस कि विचारधारा लुप्त हो जायेगी जिसका खामियाजा देश के साथ साथ उन्हें भी भुगतना पड़ेगा!
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