"आज कि आवाज़"

जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!

Thursday, August 11, 2011

जागो मेरे नोजवान साथियो जागने का वक्त आ चुका है !: सबसे कम उम्र का शहीद क्रांतिकारी आदरणीय खुदी राम बोस

जागो मेरे नोजवान साथियो जागने का वक्त आ चुका है !: सबसे कम उम्र का शहीद क्रांतिकारी आदरणीय खुदी राम बोस
Posted by Neeraj Saxena Poet at 1:00 AM
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नीरज सक्सेना की कलम से

एक आम सोच, जो अंजान अकेली घबरायी सी खुशियों के स्वप्न मात्र से कुछ कुछ बौराई सी है बिल्कुल तेरे मन की न समझो इसे पराई सी बंद आख तो मात्र निशा की परछाई सी देखो सच और करो सामना वरना जीत हरजाई सी सन ४७ बीते वर्ष ६६ क्यों तुमने न अंगड़ाई ली उठो बड़ो अब तो तज दो रीत वही अलसायी सी एक आम सोच, जो अंजान अकेली घबरायी सी

http://neerajsaxenasitapur.blogspot.in/2011/08/65.html

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