Thursday, August 4, 2011

महंगाई पर घिरे मनमोहन




 
नई दिल्ली। लगभग हर संसदीय सत्र में महंगाई पर होने वाली चर्चा बुधवार को लोकसभा में फिर से शुरू हुई तो इस बार प्रधानमंत्री कठघरे में थे। चर्चा की शुरुआत करते हुए जहां भाजपा के यशवंत सिन्हा ने कहा कि वही अर्थशास्त्र सही है जो गरीबों का दर्द समझे। जदयू के शरद यादव ने व्यंग्य किया कि 'देश को विद्वान नहीं गरीबों को समझने वाले अनपढ़ प्रधानमंत्री की जरूरत है।' सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने मनमोहन सिंह को देश की ताकत करार दिया।
सत्र शुरू होने से पहले ही प्रधानमंत्री को लेकर कड़ा तेवर बना चुके विपक्ष ने मौका मिलते ही अपनी भड़ास निकाल दी। चर्चा की शुरुआत यशवंत ने की। अलग-अलग सर्वे का आंकड़ा देते हुए उन्होंने कहा कि आम लोगों के लिए स्थिति बद से बदहाल हो गई है। ऐसे में आर्थिक विकास का हवाला देना गरीबों का उपहास उड़ाने जैसा है। इसी क्रम में उन्होंने कहा, 'जिन्हें चुनाव लड़ना होता है, वे जानते हैं कि वोटरों के बीच जाकर लगातार बढ़ रही डीजल, पेट्रोल और केरोसीन की कीमत से जूझना कितना मुश्किल होता है।' उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार महंगाई से लड़ना चाहती है तो व्यावहारिक कदम उठाने होंगे। गोदाम में पड़े अनाज बाजार में उतारे जाएंगे, तभी कीमतों पर लगाम लगाई जा सकती है। शरद यादव की बारी आई तो उन्होंने कॉरपोरेट जगत को दी गई छूटों का हवाला देते हुए कहा कि गरीबों को चूसकर मुनाफाखोरों की आमदनी बढ़ाई जा रही है।
केंद्रीय कानून मंत्री खुर्शीद ने कहा, 'जादुई छड़ी न आपके पास और न ही हमारे पास। लेकिन..हमारे पास मां है। हमारे पास मनमोहन सिंह हैं।' खुर्शीद ने आगे कहा कि राजकोषीय घाटा न बढ़ने दिया जाता तो बेरोजगारी बढ़ती। उन्होंने विपक्ष को चेताया कि केवल छींटे न उछालें, बल्कि मिलकर काम करें। ऐसा न हो कि जो निर्णय हमें करना हो वह कोई और करने लगे। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा।
चर्चा में राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह, सपा के शैलेंद्र सिंह, बसपा के दारा सिंह चौहान समेत कुछ दूसरे नेताओं ने भी हिस्सा लिया। सभी ने सरकार को चेताया कि अब भी महंगाई से निपटने में देरी हुई तो जनता नहीं बख्शेगी। आज [गुरुवार को] वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी चर्चा का जवाब देंगे!
(जागरण प्रकाशन के सौजन्य से )

महंगाई पर होने वाली चर्चा और प्रधानमंत्री कठघरे में!
जताया रोष की जनता परेशान और पहुँच गयी सदमे में!
विपक्ष ने निकाली भड़ास, संसद करी भंग विपक्ष के खेमे ने!
निष्कर्ष कुछ भी ना निकला, इस  संसदीय सत्र के  ड्रामे में!
राजनीतिज्ञ ठगे जनता को, हम ठगे जाए हर महकमे में!
महंगाई पर होने वाली चर्चा और प्रधानमंत्री कठघरे में!
हर रोज़ एक नई लूट का पैतरा, हम लुटे घूमते इस जमाने में!
पक्ष विपक्ष सब चोर भये,  संसदीय सत्र चले मात्र दिखावे में!
यह खोखली बातें है कोई तैयार नहीं व्यावहारिक कदम उठाने में!
राजकोष का देकर हवाला, कहती सरकार वह लगी देश बचाने में!
निर्णय के नाम पर बातें कोरी,सरकार लगी मुद्दे निबटाने में!
विपक्ष भी सियासत करती और लगी सियासी मुद्दा भुनाने में!
हर ओर महंगाइ कि आग, कोई साथ नही आग बुझाने में!
महंगाई पर होने वाली चर्चा और प्रधानमंत्री कठघरे में!
                             "नीरज की पति"                       

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