- यह आरती की लौ थी
जिसे तुमने आग का नाम दिया
जिन्होंने बाहर कि दुनिया न देखी
उन्हें यु ही बदनाम किया
सुनी तुम्हारी ही जाती है
इस बावस्ता तुमने बेशर्मी अंजाम दिया
...सियासत की गंदगी हो तुम
तुमने देश को हर ओर नाकाम किया
मुकाबले को तो ह्म आए थे
तूने नजदीकियों को कत्लेआम किया
कब दूरियां घर कर गयी
पता भी न चला वह काम किया
ह्म्हारी कमजोरी है गर्मजोशी
तुमने जला के काम तमाम किया
हर बार ठगे जाते है हम
कभी जात कभी भाषा से कलाम किया
चुनते भी हम्ही किलसते भी हम्ही
की नेताओं ने जीना हराम किया
सियासत की गंदगी हो तुम
तुमने देश को हर ओर नाकाम किया
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Monday, August 13, 2012
सियासत की गंदगी
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