- जिंदगी का भरोसा नहीं जब डूबती रोशनी आँखों की
हाथों की पकड़ बेकार है जब छूटती डोर सांसो की
दो पल की ज़िंदगानी है और फिर खत्म कहानी है
यादें ही रह जाती है बीते कल की अमर निशानी है
जिसने जैसा रंग रंगा उसकी वैसी ही तसवीर बनी
दिल से जो अपनायी द...ुनिया तो अच्छों में पहचान बनी
नफरत के बीज जो बोये तो हर दिल को तेरी याद भुलानी
करनी ही रह जाती है और रह जाती है मीठी वाणी
दो पल का मेहमान है बन्दे फिर काहे को अनुचित धधे
ऊँच नीच के फेर में फँस कर मार काट और झगड़ों के फंदे
अब नफरत की राह् बिसारो छोड़ो हर रंजिश पुरानी
इस जहां में ख़ुशियाँ ढेरो फिर क्यू खुराफात में ढेर जवानी
कोई तुझको भी याद करे करो कल्पना अतभुत यादों की
बाद तेरे कोई अमल करे तेरी कही अपनेपन की बातो की
क्योकी…………………….
जिंदगी का भरोसा नहीं जब डूबती रोशनी आँखों की
हाथों की पकड़ बेकार है जब छूटती डोर सांसो की
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Monday, August 13, 2012
अमर निशानी
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