गरीबी हस कर बोली,
अमीरी की औकात क्या है!
घर घर तो मै ही छाई हूँ,
अमीरी की बात कहा है!
चारों ओर मेरे भुक्तभोगी!
धनाण्य की जमात कहा है!
जब तक मेरे साथ सियासी!
तरक्की निर्धन के हाथ कहा है!
यह वर्ग पिसेगा जीवन पर्यंत!
राजतंत्र इनके साथ कहा है!
तंग हाल गरीबी इनकी जुती से!
पिघलते हुए जज़्बात कहा है!
बहुतायत गरीबों कि फौज खड़ी!
उनके दर्द से राजनीतिज्ञों को आघात कहा है!
इसलिए..........
गरीबी हस कर बोली,
अमीरी की औकात क्या है!
घर घर तो मै ही छाई हूँ,
अमीरी की बात कहा है!
No comments:
Post a Comment