बीते तमाम दिनों जब भी तेरा खयाल आया!
बिन तेरे ऐ दोस्त ख़ुद को बड़ा अधूरा पाया!
गमजदा दिल ने सोचा के कलाम लिख दू!
एक दोस्त को दोस्ती का सलाम लिख दू!
मिलने की ख्वाहिश तुझमे भी तमाम होगी!
... हर दिन की कोई घड़ी तो मेरे भी नाम होगी!
अपनी कहूँ तो एक पल भी तुझे भुला न पाया!
बिन तेरे ऐ दोस्त ख़ुद को बड़ा अधूरा पाया!
मिलना हुआ मुश्किल तो सोचा पैग़ाम लिख दू!
वक्त की किताब पर तेरा नाम ही लिख दू!
बीते दिनों को दोहराने की हसरत तुझमे भी होगी!
अपनी दोस्ती के नाम जब मुकम्मल सुबह शाम होगी!
बिन तेरे तो मैंने वक्त को बड़ा अधुरा पाया!
यकीनन यह जिंदगी धूप और मै घना साया!
बीते तमाम दिनों जब भी तेरा खयाल आया!
बिन तेरे ऐ दोस्त ख़ुद को बड़ा अधूरा पाया
बिन तेरे ऐ दोस्त ख़ुद को बड़ा अधूरा पाया!
गमजदा दिल ने सोचा के कलाम लिख दू!
एक दोस्त को दोस्ती का सलाम लिख दू!
मिलने की ख्वाहिश तुझमे भी तमाम होगी!
... हर दिन की कोई घड़ी तो मेरे भी नाम होगी!
अपनी कहूँ तो एक पल भी तुझे भुला न पाया!
बिन तेरे ऐ दोस्त ख़ुद को बड़ा अधूरा पाया!
मिलना हुआ मुश्किल तो सोचा पैग़ाम लिख दू!
वक्त की किताब पर तेरा नाम ही लिख दू!
बीते दिनों को दोहराने की हसरत तुझमे भी होगी!
अपनी दोस्ती के नाम जब मुकम्मल सुबह शाम होगी!
बिन तेरे तो मैंने वक्त को बड़ा अधुरा पाया!
यकीनन यह जिंदगी धूप और मै घना साया!
बीते तमाम दिनों जब भी तेरा खयाल आया!
बिन तेरे ऐ दोस्त ख़ुद को बड़ा अधूरा पाया
1 comment:
Niraj Saxena ji...bahut khub....
share kar rahi hu....
Post a Comment