| इतिहास के पन्नों में ढुंडता की, |
| भारत कहा है! |
| आजाद ख्वाबों में सजी, |
| वह इमरात कहा है! |
| विश्वा के पटल पर दिखे, |
| वह शोहरत कहा है! |
| कट्टरता से परे सदभाव कि, |
| इबादत कहा है! |
| तुम मेरे और हम तेरे, |
| ये कहावत कहा है! |
| मिलके मनाये त्यौहार, |
| वह इंसानियत कहा है! |
| बे-इंसाफियत पर खुल के, |
| खिलाफत कहा है! |
| देश के गद्दारो के खिलाफ, |
| जुनुने बगावत कहा है! |
| माटी की खुशबू और, |
| खुशनुमा तबीयत कहा है! |
| इतिहास के पन्नों में ढुंडता, |
| की भारत कहा है! |
| जिसके बदौलत मिलीं आजादी, |
| यादों में वह शहादत कहा है! |
| हालात से हारे लोगो में, |
| क्यू बसी नफरत यहा है! |
| आज बेबसी भरी जिंदगी, |
| जीने की कुबत कहा है! |
| सियासत नाम नहीं सेवा का, |
| लुटेरों के नाम से बेज्जत यहा है! |
| कैसे कटे दिन रात, |
| हर पल की हुज्जत यहा है! |
| मरने मारने पर उतारू, |
| कैसी अजब नफरत यहा है! |
| प्रजातंत्र तो कोरा मजाक, |
| तानाशाही कि हुकूमत यहा है! |
| हुआ गरीब और गरीब, |
| अमीर पसंद सियासत यहा है! |
| देख कलफता दिल मेरा, |
| कि हमवतन की इज़्ज़त कहा है! |
| देश से बड़ा नेत्रत्व हुआ, |
| मातृभूमि कि हैसियत कहा है! |
| इतिहास के पन्नों में ढुंडता की, |
| भारत कहा है! |
| आजाद ख्वाबों में सजी, |
| वह इमरात कहा है! |
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Thursday, February 9, 2012
भारत कहा है!
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