जिनके दम से कोमल कदमों को मिलीं मंज़िल! |
जब हुए वृद्ध तब
उनसे कदम मिलाना मुश्किल! |
गिरते पड़ते कदमों को थामने वाले! |
मन भीतर भाव को भापने वाले! |
जीवन की नव राह दिखलाने वाले! |
नवजात शिशु से नवयुवा बनाने वाले! |
इस भरी दुनिया पहचान दिलाने वाले! |
इस अज्ञात धरा के अनरुप बनाने वाले! |
जिनके दम से कोमल
कदमों को मिलीं मंज़िल! |
जब हुए वृद्ध तब
उनसे कदम मिलाना मुश्किल! |
यह कैसा दुर्भाग्य
विधि का पूछता हूँ! |
क्या यही हश्र अपना
होगा सोचता हूँ! |
क्यों भूल कर भी यह
भूल हमसे होती है! |
क्यों अपने ही
दुधजने पर माँ रोती है! |
क्यू पिता के सपने
यू टुट कर बिखरते है! |
वक्त की दहलीज़ पर
क्यू रिश्ते बदलते है! |
कोमल शिशु के
स्वप्न सजाने वाले! |
हर मोड़ हर राह
हम्हे सम्भालने वाले! |
ख़ुद से कही ज्यादा
हम्हे चाहने वाले! |
निष्ठुर जीवन का हर
सही ग़लत बताने वाले! |
जिनके अनुभव हम
बनते दुनिया के काबिल! |
क्यू जीर्ण शीर्ण
घुटते वह मातपिता तिल तिल! |
जिनके दम से कोमल
कदमों को मिलीं मंज़िल! |
जब हुए वृद्ध तब
उनसे कदम मिलाना मुश्किल! |
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