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| सिरह उठी अंतर्मन पीर! |
| देख समस्या गंभीर! |
| इटली आगे हल्की भीड़! |
| जाने क्यू धीर अधीर! |
| सबके चित पत्थर पड़े! |
| हम दोनों हाथ जोर खड़े! |
| मनमोहन की आड़ में! |
| इटली बाला राज करे! |
| छलनी करे विदेशी तीर! |
| वह री भारत की तक़दीर! |
| पराधिन की जकड़ी जंजीर! |
| बह गए स्वप्न रह गए नीर! |
| सिरह उठी अंतर्मन पीर, |
| देख समस्या गंभीर! |
| किसके बस है राम राज! |
| कौन सवारे अपना आज! |
| हमसे मिटी देश की लाज! |
| हम्ही करे कुछ ऐसा काज! |
| जो परिवर्तन की आँधी हो! |
| फिर सैतालिस जैसी क्रांति हो! |
| एक सैलाब फिर शांति हो! |
| ना दुविधा न भ्रांति हो! |
| बुलंद करो भारत की रीड़! |
| बदलो चाल यह भेड़ भीड़! |
| सुन लो अपनी अंतर्मन पीर! |


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