Saturday, February 4, 2012

सियासत धंधा खानदानी हो गया


शिराओं में बहता खून पानी हो गया!
सियासत कि राह पर नेता हैवानी हो गया!
जनता पर सितम आम कहानी हो गया!
सत्ता का सबब अजब परेशानी हो गया!
बाबत कुर्सी के हर चीज हुई जायज!
कुर्सी के आड़ में पले धंधे नाजायज!
बेशरम सियाससत चली दौलत की राह!
रास्ते जो आया ना मिलीं उसे पनाह!
ताजपोशी के हौसले, दल गिरोह में तबदील!
त्राहीमान जनता की बेअसर हर दलील!
बाहुबलियो से भरे सदन के गलियारे!
किसमें है हिम्मत जो इनको उखाड़े!   
सत्ता दौलतमंदो की रिहाईश हो गयी!
राजनिती पुस्तैनियो की फर्माईश हो गयी!
जनता की आवाज तो बिखरती ख्वाइश हो गयी!
देश की आबरु बेदर्द नुमाइश हो गयी! 
हुआ देश पर मौका परस्तो का कब्जा!
धर्म के नाम फैलाया मर मिटने का जज्बा!
प्रदेशों के टुकड़े कर,किया देश को खंडित!
घोटाले में लिप्त मंत्री हुए महीमा मन्डित!
लुप्त समाजसेवा, सियासत धंधा खानदानी हो गया!
टिकट के मार्फत लुटतंत्र में आसानी हो गया!
जो विद्रोह करे तो खदेड़ दो मुँह जुबानी हो गया!  
सियासत का हर पैतरा अब बैमाँनी हो गया! 
शिराओं में बहता खून पानी हो गया!
सियासत कि राह पर नेता हैवानी हो गया!

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