Tuesday, December 13, 2011

तेरी अपील और यह मेरी अपील


हर किसी चौराहे पर है एक ही चर्चा !
कमाई चवन्नी और अठन्नी है खर्चा !
दो जून की रोटी कमाना है मुश्किल!
बच्चों के सपने करे कैसे मुकम्मिल!
सत्ता के ठेकेदारो ने किया हाल बेहाल!
त्रासदी का आलम और जनता हलाल!
हर तरफ़ पसरी दर्दे कहानी यही है!
रोकर भी हासिल अब कुछ नहीं है!

चलो इंतकाम की आवाज़ बुलंद हम करे!
अण्णा के आवाहन पर फिर जेल हम भरे!
समय आ गया जन ताकत दिखा दो!
आंदोलन के सुर से सुर को मिला दो!

आवाज़ हो बुलंद कि तख्तों ताज हिला दो!
मृत हुए सपनों को आज फिर से जिला दो!
देखो यह मौका दोबारा आया के ना आया!
दमखम की चूक से ना हो कोशिस यह जाया!
क्योकी यह तेरी अपील और यह मेरी अपील!


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