Friday, July 29, 2011

"दहेज दानव"


"दहेज दानव"

बेटी हुई जवान पिता को डर सताता है!


क्योकि आते जाते कोई भी उसको छेड़ जाता है


करने हाथ पीले है पर जेब में थोड़ी मंदी है!
दहेज दानव जकड़ रहा, यह परंपराएँ अंधी है!
यह एक पिता कि नही, हर दुजे घर कि कहानी है!
सोचो और जबाब दो, कब तक यह कुरीति दोहरनी!
तुम बद्लोगे जग बदलेगा, कोई तो शुरुवात करो!
बेटा बेटी एक समान, दोनों में अन्तर न करो!
दहेज हत्या पाप है, मानवता पर अभिशाप है!
आओ और आवाज़ दो कि हम सब इसके खिलाफ है!
अंतर्मन हो मज़बूत अगर तो अमिट भी मिट जाता है!
बेटी हुई जवान पिता को डर सताता है!



क्योकि आते जाते कोई भी उसको छेड़ जाता है!

बेटे को ब्याह कर सोचो बेटी भी ब्याहानी है!

आज नही कल सोच तेरी भी वही कहानी है!

फिर काहे का भेद भाव छोड़ो कुरीति पुरानी है!

नए दौर में लिख दो मिल कर फिर नई कहानी है!



"नीरज कि पाति"

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